उदयपुर चातुर्मास 2018

15 स्कूलों के 2970 बच्चों ने सीखी जीवन जीने कि कला एवं लिया शाकाहार का संकल्प शिवाचार्य समवसरण में विद्यार्थीयों को सम्बोधित करते हुए आत्मज्ञानी सदगुरूदेव युगप्रधान ध्यानगुरू आचार्य सम्राट पूज्य डॉ- श्री शिवमुनि जी म-सा ने कहा कि मेरे सामने बैठे समस्त विद्यार्थी आने वाले समय में भारत का भविष्य है। आज का अबोध विद्यार्थी कल का सुबोध नागरिक है और समस्त शिक्षक भविष्य निर्माता हैं। एक विद्यार्थी का निर्माण देश के निर्माण के समान हैं। विद्यालय इंसान को इन्सान बनाने की फैक्ट्री है। इन्सान को जन्म तो माँ-बाप देते है पर इन्सानियत का जन्म स्कूल से होता है।
प्यारे बच्चों सुनहरा भविष्य बाहे फैलाए तुम्हारा इंतजार कर रहा है। बचपन उगते हुए सूरज की भांति है, बचपन खिलती हुई कली की भांति है। अभी आपने बहुत लम्बी यात्र तय करनी है। कुछ खुद के सपने तो कुछ माता-पिता के सपनों को पूरा करना हैं। हर माता-पिता का सपना है कि मेरा बेटा पढ़ लिखकर बिजनस मेन बने पर मेरा कहना है कि डॉक्टर, इंजिनीयर, वकील, सी-ए- बन पाओं या न बन पाओं मगर एक अच्छा और सच्चा इन्सान जरूर बनना। क्योंकि एक अच्छा इन्सान सौ वकील, सौ डॉक्टर, सौ सी-ए-, सौ इंजिनीयर, सौ वकील से भी बढ़कर होता है।
महापुरूष पैदा नहीं होते है, महापुरूष तो बनना पड़ता है। महात्मा गांधी ने बचपन में मोहनलाल कर्मचन्द गांधी साधारण बालक के रूप में जन्म लिया था। लेकिन अपने कठिन पुरूषार्थ पराक्रम से वह राष्ट्रपिता गांधी बने थे। जन्म तो नरेन्द्र का हुआ, विवेकानन्द तो अपने संस्कार से बनते है। जन्म तो बालक वर्धमान का हुआ था, महावीर तो अपने पराक्रम और पुरूषार्थ से बने थे। आप भी महापुरूष बन सकते है। सही सोच, सही दिशा और उच्च संस्कार आपको भी महापुरूष बना सकते हैं।
प्यारे बच्चों सफल जीवन के लिए।
1- अपनी राईटिंग को सुन्दर बनाइए।
2- होशियार बच्चों की संगति करिए।
3- भले ही काम छोटा हो पर व्यवस्थित होना चाहिए, साफ-सफाई से होना चाहिए।